गणेशमल छलाणी  

छोगमल जी छलाणी के प्रपौत्र एंव आप हजारीमल जी छलाणी के तृतीय पुत्र आसकरण जी छलाणी के ज्येष्ठ पुत्र है। आपका जन्म संवत् 1993 वैशाख कृष्णा 10 को हुआ। प्राइमरी शिक्षा दियातरा में प्राप्त की, तत्पश्चात् गंगानगर से दसवीं कक्षा पास की। आप तेजपूर 1946 ई. में गये। वहां आसामी भाषा में पढ़ाई की आप 18 वर्ष की आयु में ही व्यापार में लग गये। दाल-दलहन, किराणा, तम्बाकू, पाट, तेल-तिलहन, सूती धागा, ऊनी धागा सभी तरह का व्यापार आयात निर्यात सब तरह का किया। आपने यात्राएं अपनी पत्नी के साथ सब जगह की एवं समस्त भारत का भ्रमण किया तथा साथ ही आपने नेपाल व भूटान भी देखा। व्यापार नीति में दादाजी के विचार पत्रांे से तथा बाबाजी भंैरुदानजी, चतुरभुजजी, काकाजी मुन्नीलालजी से सीखा। व्यापार किया लेकिन सौदा फाटका से हमेशा दूर रहे। तत्पश्चात् बीकानेर में छलाणी वूलन मिल में कार्यरत रहें। दिनांक 14.02.1956 को सुरपुरा निवासी श्री चन्दनमल जी गोलछा की पुत्री निर्मला देवी से सुरपुरा में शादी हुई। आपके दो पुत्रियां लीला एंव सरिता हंै।

निर्मला देवी  

आप सुरपुरा निवासी अब नोखा में रह रहे श्री चन्दनमल जी गोलछा की सुपुत्री हैं। आपका जन्म संवत् 1997 पोष सुदी 10 सन् 1940 में हुआ। बचपन जलपाईगुडी व सुरपुरा में बीता। प्राइमरी तक प-सजयी लिखी। शादी के बाद गांव दियातरा में सास ससुर के पास रहे। फिर आसाम में तेजपूर एवं बंगाल में दिनहटा भी रहे। फिर कुछ दिन गंगाशहर भी रहकर अब बीकानेर में रह रहे हैं। आप एक सुदक्ष ग्रहणी हैं। सन् 1972 में सास का साया उठ गया। फिर भी छोटे देवर का लालन-पालन व देवरों की शादी आदि का कार्य बखूबी संभाला। आपने तपस्या में तेला, अठाई एवं 14 का उपवास भी किया। तीर्थयात्राओं में पालीतणा, हस्तिनापुर, शिखरजी, पावापुरी, राजगिरी, रणकपुर, बनारस, नाकोड़ा, पुरी, आबू, देलवाड़ा नाथद्वारा, माड़ोली, अमरकंटक, आदि मुख्य हैं।