भंवरलाल छलाणी | Bhanwarlal Chhalani |
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भंवरलाल छलानी छोगमलजी छलानी के प्रपौत्र एवं भैरुदानजी छलानी के पुत्र हैं। आपका जन्म दिनांक 22-11-1930 को दियातरा में हुआ। जन्मोत्सव गांव दियातरा मंे अति धूमधाम से मनाया गया। बचपन दादा-दादी के साथ ही बीता। साधारण शिक्षा गांव में ही हुई। 15 साल की उम्र में असम प्रांत के तेजपूर शहर में पैतृक दुकान में जाने लगे। 4 साल प्राईवेट पढ़कर 10वीं कक्षा आसामी भाषा के माध्यम से उत्तीर्ण की। 2 वर्ष बाद राजस्थान के गंगानगर में कालेज में दाखिल होकर बी.ए. पास किया। साथ-साथ में हिन्दी साहित्य कृषि रत्न व आयुर्वेद रत्न (हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग) पास कर राजस्थान सरकार से रजिस्ट्रेशन प्राप्त कर वैद्यकी करने का निश्चय किया। इसी बीच छलानी वूलन,बीकानेर का निर्माण कराकर मिल चालू की। 10वीं कक्षा पास करने के बाद सम्वत् 2008 माघ सुदी 5 को सुरपुरा निवासी (हाल नोखा) चनणमलजी गोलछा की पुत्री भंवरी देवी से हुई। एक वर्ष बाद भंवरी देवी का देहान्त हो जाने पर सम्वत् 2011 में मिगसर बदी 9 को नोहर निवासी मालचन्दजी छाजेड़ की पुत्री रतनी देवी के साथ शादी हुई। बी.ए. पास करने के बाद बीकानेर में गांधी अध्ययन केन्द्र में 2 साल सर्विस की। खादी मन्दिर में भी कार्य सीखा। सन् 1972 में उत्तर बंगाल के दिनहटा टाऊन में पैतृक व्यवसाय छलानी स्टोर्स में रहने लगे। वहां मारवाड़ी हिन्दी विद्यालय में हाथ ब्ंाटाते-बंटाते प्रधानाध्यापक बनें। शिक्षक काल में डण्।ण् एवं ठण्म्कण् पास किया एवं 1995 में 30 नवम्बर को रिटायर होकर गांव आये। फिलहाल पुत्र ललित कुमार के साथ दिनहटा-उदयपुर में रह रहे हैं। पांच पुत्री रीता, स्वदेश, उषा, कल्पना,ज्योति एवं एक पुत्र ललित कुमार है। जैन धर्म की धारणा संवेगी संत गंभीरसूरिजी से शिक्षा प्राप्त की। तपस्या में एक बार अठाई की। शत्रुंजय एवं सम्मेदशिखरजी भी एक-एक बार जाकर आये। लौकिक देवों में करणीमाताजी एवं हनुमानजी एवं सिड्डा के सिद्ध पुरुष संत नारायणदासजी महाराज को सर्वोपरि मानते हैं। |
भंवरी देवी | |
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सुरपुरा निवासी (वर्तमान नोखा मंडी में ) श्री चनणमलजी गोलछा की सुपुत्री थी आपका जन्म भादवा सुदी 6 सम्वत् 1994 को हुआ। आप साधारण पढ़ी लिखी थी। सम्वत् 2008 की माघ सुदी 5 को आपकी शादी श्री भंवरलालजी छलानी के साथ हुई। दुर्भाग्य से सम्वत् 2009 के फाल्गुन बदी 13 को चल बसी।
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रतनी देवी नोहर निवासी श्री महालचन्दजी छाजेड़ की सुपुत्री है। आपका जन्म नोहर में दिनांक 19-09-1939 को हुआ। आपकी शादी दिनांक 04-12-1954 को हुई।साधारण पढ़ी लिखी है। गृहकार्य में विशेष कर रसोई बनाने में बहुत ही दक्ष है। इन्हें भी सर्वोदय के कार्यों में रुचि रही है। शादी के थोड़े समय बाद ही खादी पहननी शुरु कर दी। चरखा कातना एवं हाथ से कार्य करने में आस्था रखती है। विवाह के कुछ दिन पढ़ाई भी की। जैन धर्म की धारणा तेरापंथ संत चांचिया चम्पालालजी से ली। तपस्या में 4 बेला, 1 तेला 1 चोला, 1 सात व 1 बार अठाई की। श्रावण भादवा में तपस्या की। लौकिक देवों में सभी को एवं संत भीखणजी स्वामी एवं संत नारायणदासजी को ध्याते हैं। |
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